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आस्ट्रेलिया महाद्वीप में विशाल मरूस्थल और विस्तृत पठार पाये जाते हैं । यह एक साधन सम्पन्न महाद्वीप हैं । इस महाद्वीप के अधिकांश भाग में वर्षा बहुत कम होती । 

यहाँ वन, वन्यप्राणी अनेक प्रकार के हैं और खनिज संपदा बहुत है । आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से यहाँ के संसाधनों का अच्छा उपयोग किया गया है । आस्ट्रेलिया महाद्वीप आज संसार के प्रमुख औद्योगिक देशों में गिना जाता है ।

कृषि एवं पशुपालन:

आस्ट्रेलिया का अधिकांश भाग वर्षा के अभाव में सूखा रहता है । इस कारण केवल 4 प्रतिशत भू-भाग पर खेती होती है । अधिकतर खेती दक्षिणी-पश्चिमी, दक्षिणी-पूर्वी तथा पूर्वी तटीय मैदानी भागों में होती है । इन भागों में पर्याप्त वर्षा होती है । जहाँ वर्षा नहीं होती वहाँ सिंचाई द्वारा खेती की जाती है ।

भारत की तरह आस्ट्रेलिया भी कृषि प्रधान महाद्वीप है । गेहूँ यहाँ की मुख्य फसल है । यहाँ बहुत बड़े-बड़े कृषि फार्म हैं । खेती का सारा काम मशीनों द्वारा होता है । आस्ट्रेलिया महाद्वीप में गेहूँ शीतकाल में होता है । गेहूँ के मुख्य उत्पादक क्षेत्र डाउन्स के मैदान, तटीय पश्चिमी-दक्षिण, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड का केंटरबरी मैदान हैं ।

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यहाँ गेहूँ की फसल के अनुकूल उपजाऊ मिट्‌टी, शीतोष्ण जलवायु और साधारण वर्षा होती है । यहाँ से गेहूँ बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है । गेहूँ के अतिरिक्त जौ, जई, मक्का भी पैदा किए जाते हैं । गन्ना तम्बाकू तथा कपास क्वीन्सलैंड में पैदा होता है ।

आस्ट्रेलिया महाद्वीप में फलों की खेती बहुतायात से होती है । महाद्वीप के उत्तर के ऊष्ण कटिबंधीय भाग में अनानास, केला, पपीता खूब होते हैं । दक्षिण में भूमध्य-सागरीय जलवायु वाले प्रदेश में सेब, नाशपाती, नींबू, नारंगी, आडू और अंगूर की खेती की जाती है ।

अंगूर से शराब बनाकर निर्यात की जाती है । आस्ट्रेलिया के शीतोष्ण जलवायु वाले पूर्वी तथा पश्चिमी क्षेत्रों में पशुपालन किया जाता है । यह महाद्वीप पशुपालन के लिये विश्व प्रसिद्ध है । पशुओं को आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पाला जाता है ।

कुछ पशु दूध, मक्खन और पनीर के लिए तो कुछ पशुओं मांस व ऊन के लिए पाला जाता । ये पशु क्वीन्सलैण्ड, दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी व पूर्वी क्षेत्रों में पाले जाते हैं । आस्ट्रेलिया महाद्वीप मक्खन और पनीर का बड़ा निर्यातक देश है ।

भेड़पालन:

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आस्ट्रेलिया महाद्वीप में भेडों को मुख्यत: ऊन के लिए पाला जाता है । कुछ भेडे मांस के लिए भी पाली जाती हैं । आस्ट्रेलिया में भेडों की संख्या संसार में सबसे अधिक है । यहाँ भेडों को बड़े-बड़े बार्डो (फार्म हाऊस) में रखा जाता है, जिसे ‘भेड़पालन केंद्र’ कहते हैं । ये केंद्र कई किलोमीटर क्षेत्र में फैले रहते हैं ।

यहाँ के मरे-डार्लिग नदियों के बीच फैला क्षेत्र भेड़पालन के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है । न्यूसाऊथवेल्स, विक्टोरिया, क्वीन्सलैण्ड तथा न्यूजीलैण्ड में भेडे पाली जाती हैं । यहाँ ऊन के लिए सामान्यत: ‘मेरीनो’ जाति की भेडें पाली जाती हैं । इनसे बहुत अच्छे किस्म की ऊन प्राप्त होती है ।

भेड़पालन केन्द्र पर काम करने वाले मजदूरों को ‘जेकारू’ कहते हैं । ये भेडों को चराने तथा उनकी देखभाल करने का काम करते हैं । आस्ट्रेलिया में भेडों से ऊन उतारने (निकालने) के लिए आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है । भेडों से ऊन उतारने के लिए अधिक मात्रा में कुशल श्रमिकों की जरूरत होती है ।

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ऊन की गांठे बनाकर स्टेशनों तथा बंदरगाहों को भेज दी जाती हैं । आस्ट्रेलिया महाद्वीप संसार का सबसे बड़ा ‘ऊन उत्पादक एवं निर्यातक’ देश है । न्यूजीलैंड के द्वीपों में भी आस्ट्रेलिया के समान ही दुधारू और मांस तथा ऊन प्रदान करने वाले पशुओं को बड़ी मात्रा में पाला जाता है । वहाँ का आर्थिक आधार ही पशुपालन है । गायें, भेडें, सुअर मुख्य पालतू पशु है । इस महाद्वीप में लगभग 18 करोड भेडें पाली जाती हैं ।

खनिज:

आस्ट्रेलिया महाद्वीप का अधिकांश भाग पहाड़ी, पठारी एवं मरूस्थलीय है । यह संसार के प्राचीनतम स्थलखंडों में से एक है । आस्ट्रेलिया में लौह अयस्क, बाक्साइट, मैंगनीज और सोने के भंडार हैं । इनके अतिरिक्त चाँदी, यूरेनियम, थोरियम, ताँबा, टिन की भी खदानें हैं ।

पश्चिमी आस्ट्रेलिया में कालगूर्ली एवं कुलगार्डी सोने की संसार प्रसिद्ध खदानें हैं । क्वीन्सलैण्ड में भी बड़ी खदानें हैं । आस्ट्रेलिया में बाक्साइड अधिक होता है । इसकी बड़ी मात्रा में खपत देश के कारखानों में होती है अत: निर्यात कम हो पाता है । बाक्साइट से एल्युमीनियम बनाया जाता है । ‘ओपल’ दूधिया रंग की धातु भी यहाँ पाई जाती है । जिसका उपयोग चूडियाँ तथा अrग्हूइठयाँऐ बनाने में होता है ।

ऊर्जा के संसाधन:

आस्ट्रेलिया महाद्वीप में ऊर्जा के संसाधनों में कोयला, खनिज तेल, तथा प्राकृतिक गैस के भण्डार मुख्य हैं । कोयला न्यूसाऊथवेल्स, क्वीन्सलैंड तथा न्यूजीलैण्ड की खदानों से निकाला जाता है । पश्चिम तटीय आस्ट्रेलिया और डाउन्स क्षेत्र में खनिज तेल व गैस के भण्डार हैं ।

प्रमुख उद्योग:

संसार के प्रमुख औद्योगिक देशों में आस्ट्रेलिया महाद्वीप को सम्मिलित किया जाता है । गत कुछ वर्षों में ही आस्ट्रेलिया महाद्वीप ने औद्योगिक क्षेत्र में जो उन्नति की है उसका मुख्य कारण आधुनिकतम टेकनालॉंजी का प्रयोग करना है ।

यहाँ के आर्थिक विकास में उच्चस्तर की प्रशासनिक क्षमता सस्ता एवं कुशल कामगार वर्ग तथा प्रतिस्पर्धात्मक उद्योग नीति सफल रही है । जहाँ की प्राकृतिक संपदाओं के दोहन से यहाँ के उद्यमी-निवासियों का जीवन स्तर दिनों-दिन ऊंचा उठता रहा है ।

यहाँ के शासन द्वारा शिक्षा स्वास्थ्य प्रशिक्षण एवं यातायात के साथ-साथ अन्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है । यहाँ के प्रमुख उद्योगों में लोहा-इस्पात, कृषि मशीनें, मोटर गाडियाँ, विद्युत का सामान, रसायन, कागज, जलयान, मशीनी उपकरण और तेलशोधन के कारखाने प्रमुख हैं ।

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इनके अतिरिक्त सूती तथा ऊनी वस्त्र, मक्खन, पनीर, दूध पावडर, मांस और फलों को डिब्बे में बन्द करने के कारखाने हैं । यहाँ के अधिकांश उद्योग ऑस्ट्रेलिया के न्यूसाऊथवेल्स और विक्टोरिया राज्यों तथा न्यूजीलैण्ड में स्थित हैं । सिडनी, मेलबोर्न तथा एडिलेड मुख्य औद्योगिक नगर हैं । वेलिंगटन न्यूजीलैण्ड की राजधानी और प्रमुख औद्योगिक नगर तथा बन्दरगाह है ।

यातायात:

आस्ट्रेलिया महाद्वीप में जलमार्ग, थलमार्ग एवं वायुमार्ग का विकास बडे पैमाने पर हुआ है । अधिकांश राज्यों की राजधानियाँ समुद्र तट पर स्थित हैं इस कारण ये अच्छे बन्दरगाह भी हैं । आस्ट्रेलिया महाद्वीप में रेलमार्ग का विकास खनिज निकालने के कारण हुआ है ।

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खनिज पदार्थ निकालने वाले स्थानों को रेलमार्ग द्वारा बड़े-बड़े नगरों से जोड़ा गया है । इस महाद्वीप का सबसे बड़ा रेलमार्ग ‘ट्रांस आस्ट्रेलियन रेलवे’ है जो पश्चिम में स्थित पर्थ से पूर्व में स्थित सिडनी नगर को जोड़ता है । इसकी कुल लम्बाई लगभग 4000 कि॰मी॰ है । आस्ट्रेलिया महाद्वीप के मुख्य नगर सड़क मार्ग द्वारा राज्यों की राजधानियों से जुडे हुए हैं । यहाँ की प्रमुख सड़कों को ‘कामनवेल्थ महामार्ग’ कहते हैं । आस्ट्रेलिया लम्बी-लम्बी दूरियों का महाद्वीप है ।

सुदूरवर्ती भेडपालन केंद्रों कृषि बस्तियों और छितरे नगर बस्तियों में पहुंचने के लिये वायु-परिवहन का अत्यधिक उपयोग होता है । यहाँ पर वायुयानों का चिकित्सायान (एंबुलैंस) के रूप में उपयोग होता है । यात्रियों तथा सामान ढोने के लिए वायु परिवहन का अपना विशेष महत्व है ।

आस्ट्रेलिया महाद्वीप संसार के प्रमुख देशों से वायु परिवहन द्वारा जुड़ा हुआ है । न्यूजीलैंड की राजधानी व प्रमुख औद्योगिक नगर वेलिंगटन भी जलमार्ग व वायुमार्ग से विश्व के देशों से तथा रेलमार्ग से आंतरिक नगरों से जुड़ा है ।

जनसंख्या:

आस्ट्रेलिया महाद्वीप संसार का सबसे विरल जनसंख्या वाला देश है । यहाँ जनसंख्या का औसत घनत्व 3 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है । आस्ट्रेलिया में सघन जनसंख्या दक्षिणी-पूर्वी, दक्षिणी-पश्चिमी एवं पूर्वी तटीय प्रदेशों में है । यहाँ के मूल निवासी ‘अबोरिजिनल’ कहलाते हैं, जबकि न्यूजीलैण्ड के मूल निवासी ‘मावरी’ कहलाते हैं ।

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ये लोग शिकार हेतु ‘बूमरैंग’ औजार का उपयोग करते हैं । यह औजार जिस पर फेंका जाता है उसे चोट पहुंचाते हुए फेंकने वाले के पास पुन: लौट आता है । यहाँ के मूल निवासी मध्य आस्ट्रेलिया में स्थित ‘लाल रंग की चट्‌टान समूह’ जिसे ‘युलुरू’ कहा जाता है को बहुत पवित्र मानते हुए उसकी पूजा करते हैं । आस्ट्रेलिया में अनेक प्रजाति और संस्कृति के लोग रहते हैं जिन्हें ‘आस्ट्रेलियन’ कहते हैं ।

प्रमुख नगर एवं बन्दरगाह:

आस्ट्रेलिया महाद्वीप के प्रमुख नगर सिडनी, मेलबोर्न, पर्थ, एडिलेड, बिस्बेन, केनबरा, होबार्ट, वेलिंगटन आदि हैं । सिडनी, आस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा नगर और प्रथम श्रेणी का बन्दरगाह है । केनबरा ऑस्ट्रेलिया की राजधानी है ।