Read this article in Hindi to learn about the two main types of supply curve widely used to explain the quantity supplied of commodities, with the help of suitable diagrams.

पूर्ति तालिका के आधार पर पूर्ति वक्र प्राप्त होता है । ग्राफ पेपर पर जब पूर्ति तालिका को रेखाचित्र के माध्यम से व्यक्त किया जाता है तब हमें पूर्ति वक्र प्राप्त होता है ।

व्यक्तिगत पूर्ति वक्र (Individual Supply Curve):

व्यक्तिगत पूर्ति तालिका (देखें तालिका-2) को ग्राफ पेपर पर प्रदर्शित करने पर व्यक्तिगत पूर्ति वक्र प्राप्त होता है । इस वक्र का ढाल नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता हुआ (Positively Sloped from Bottom to Top) होता है जो वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति में धनात्मक सम्बन्ध (Positive Relationship) दर्शाता है ।

तालिका 3 में प्रदर्शित आँकड़ों को ग्राफ पेपर पर अंकित करने बाद हमें चित्र 10 के अनुसार व्यक्तिगत पूर्ति वक्र SS प्राप्त होता है जो बायें से दायें ऊपर बढ़ता हुआ है और कीमत तथा पूर्ति मात्रा के बीच धनात्मक सम्बन्ध (Positive Relationship) को दर्शाता है ।

चित्र में OP कीमत वह कीमत है जिस पर विक्रेता वस्तु की पूर्ति को शून्य कर देता है अर्थात् वह OP कीमत या उससे कम कीमत पर वस्तु की कोई मात्रा बेचने को तैयार नहीं होता । इस कीमत को सुरक्षित कीमत (Reserve Price) अथवा न्यूनतम पूर्ति कीमत (Minimum Supply Price) कहते हैं ।

बाजार पूर्ति वक्र (Market Supply Curve):

बाजार पूर्ति तालिका (देखें तालिका 3) को ग्राफ पेपर पर अंकित करके बाजार पूर्ति वक्र प्राप्त किया जा सकता है । व्यक्तिगत पूर्ति वक्र की भाँति बाजार पूर्ति वक्र भी बायें से दायें ऊपर की ओर बढ़ता हुआ होता है जो कीमत और कुल पूर्ति के बीच धनात्मक सम्बन्ध (Positive Relationship) को दर्शाता है ।

चित्र 11 में व्यक्तिगत पूर्ति वक्रों SASA , SBSB तथा SCSC को मिलाकर बाजार पूर्ति वक्र SS तैयार किया गया है । तालिका 3 के आधार पर बना यह बाजार पूर्ति वक्र प्रदर्शित करता है कि कीमत Rs. 4 प्रति इकाई पर बाजार पूर्ति 2 + 2 + 1 = 5 इकाई है । कीमत के बढ़कर Rs. 5 प्रति इकाई होने पर बाजार पूर्ति 4 + 3 + 4 = 11 इकाई है ।

इस प्रकार बाजार पूर्ति वक्र बाजार में किसी एक वस्तु का उत्पादन करने वाली सभी फर्मों एवं विक्रेताओं के व्यक्तिगत पूर्ति वक्रों का समस्तरीय जोड़ (Horizontal Addition) होता है ।