Here is an essay on the ‘Supply of Commodities’ for class 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on the ‘Supply of Commodities ’ especially written for school and college students in Hindi language.

Essay on the Supply of Commodities


Essay Contents:

  1. वस्तुओं की पूर्ति की परिभाषाएँ (Definition of Supply of Commodities)
  2. पूर्ति तालिका (Supply Schedule)
  3. वस्तुओं की पूर्ति को निर्धारित करने वाले घटक (Factors Affecting the Supply of Commodities)
  4. वस्तु की पूर्ति के निर्धारक घटक (Determinants of Supply of a Commodity)
  5. पूर्ति का नियम (Law of Supply)


Essay # 1. वस्तुओं की पूर्ति की परिभाषाएँ (Definition of Supply of Commodities):

ADVERTISEMENTS:

किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उन मात्राओं से है जिन्हें एक विक्रेता विभिन्न सम्भव कीमतों पर एक निश्चित समय में बेचने को तैयार रहता है । माँग की भाँति पूर्ति भी किसी समय की अवधि तथा कीमत से जुड़ी होती है ।

थॉमस के अनुसार, ”वस्तुओं की पूर्ति वह मात्रा है जो एक बाजार में किसी निश्चित समय पर विभिन्न कीमतों पर बिकने के लिए प्रस्तुत की जाती है ।”

प्रो. मेयर के अनुसार, ”पूर्ति किसी वस्तु की मात्राओं की अनुसूची है, जो विभिन्न कीमतों पर किसी विशेष समय या समय की अवधि में, उदाहरणार्थ एक दिन एक सप्ताह आदि जिसमें पूर्ति की सभी दशाएँ स्थिर हों, विक्रय के लिए प्रस्तुत की जायँ ।”


Essay # 2. पूर्ति तालिका (Supply Schedule):

ADVERTISEMENTS:

विाभिन्न कीमतों पर बाजार में वस्तु की बेची जाने वाली मात्राओं को यदि तालिका में व्यक्त कर दिया जाए तो इसे पूर्ति तालिका कहते हैं ।

इस प्रकार पूर्ति-तालिका वह तालिका है जो किसी वस्तु की विाभिन्न संभव कीमतों पर बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली पूर्ति की विभिन्न मात्राओं को प्रकट करती है ।

पूर्ति तालिका दो प्रकार की होती है:

a. व्यक्तिगत पूर्ति तालिका (Individual Supply Schedule)

ADVERTISEMENTS:

b. बाजार पूर्ति तालिका (Market Supply Schedule)

a. व्यक्तिगत पूर्ति तालिका (Individual Supply Schedule):

यह तालिका एक विक्रेता के पूर्ति फलन को स्पष्ट करती है । एक विक्रेता किसी समयावधि विशेष में विभिन्न कीमतों पर वस्तु की जितनी मात्रा बाजार में बेचने को तैयार रहता है, उसे यदि तालिका के रूप में प्रदर्शित किया जाय तो इसे हम व्यक्तिगत पूर्ति तालिका कहते हैं ।

तालिका-2 से स्पष्ट है कि वस्तु की कीमत बढ़ने पर वस्तु की पूर्ति भी बढ़ रही है ।

b. बाजार पूर्ति तालिका (Market Supply Schedule):

बाजार की सभी फर्में अथवा विक्रेता मिलकर विभिन्न कीमतों पर बाजार में कुल कितनी मात्रा बेचने को तैयार हैं इसका एक तालिका में प्रदर्शन बाजार पूर्ति तालिका करती है । इस प्रकार बाजार पूर्ति तालिका से अभिप्राय बाजार में किसी विशेष वस्तु का उत्पादन या पूर्ति करने वाली सभी फर्मों की पूर्ति के जोड़ से है ।

किसी वस्तु का उत्पादन करने वाली सभी फर्मों के जोड़ को उद्योग कहते हैं । अतएव बाजार पूर्ति तालिका समस्त उद्योग की पूर्ति तालिका होती है । इसके द्वारा बाजार में विभिन्न कीमतों पर सभी फर्मों की किसी विशेष वस्तु की कुल पूर्ति प्रकट होती है ।

तालिका-3 में बाजार पूर्ति तीनों विक्रेताओं द्वारा विभिन्न कीमतों पर प्रस्तुत की जाने वाली कुल वस्तु मात्रा बताती है । तालिका यह स्पष्ट करती है कि जब वस्तु की कीमत बढ़ती है तब वस्तु की पूर्ति की गयी मात्रा में भी कमी होती है ।


ADVERTISEMENTS:

 Essay # 3. वस्तुओं की पूर्ति को निर्धारित करने वाले घटक (Factors Affecting the Supply of Commodities):

वस्तु की पूर्ति एवं इसके निर्धारक तत्वों के बीच कार्यात्मक सम्बन्ध (Functional Relationship) को पूर्ति फलन कहा जाता है ।

पूर्ति फलन को निम्नांकित समीकरण के रूप में व्यक्त किया जा सकता है:

ADVERTISEMENTS:

SX = f (Px, Pr, Pf, T, N, G, Ex, Gp)

जहाँ,

SX = X वस्तु की पूर्ति

PX = X वस्तु की कीमत

ADVERTISEMENTS:

Pr = सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत

Pf = उत्पादन साधनों की कीमत

Gp = सरकारी नीति

T = तकनीक

N = फर्मों की संख्या

G = फर्म का उद्देश्य

ADVERTISEMENTS:

Ex = भविष्य में सम्भावित कीमत


Essay # 4. वस्तु की पूर्ति के निर्धारक घटक (Determinants of Supply of a Commodity):

1. वस्तु की कीमत (Price of the Commodity):

किसी वस्तु की पूर्ति तथा कीमत में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है । सामान्य दशाओं में कीमत बढ़ने से वस्तु की पूर्ति बढ़ती है तथा कीमत कम होने से वस्तु की पूर्ति घटती है ।

2. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत (Price of Related Goods):

किसी वस्तु विशेष की पूर्ति अन्य सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत से अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होती है, जैसे चावल की कीमत में वृद्धि होने से गेहूँ की पूर्ति गिर जाती है । इसका कारण यह है कि चावल की कीमत में वृद्धि निर्माताओं को चावल के अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करती है । इसलिए गेहूँ उत्पादन कम होगा एवं उसकी पूर्ति घट जायेगी ।

ADVERTISEMENTS:

3. उत्पादन साधनों की कीमत (Prices of Production Factors):

उत्पत्ति के साधनों की कीमत बढ़ने पर उत्पादन लागत में भी वृद्धि हो जाती है जिसके कारण उत्पादकों का लाभ घटता है और वे उत्पादन कम कर देते हैं । इसके विपरीत उत्पत्ति साधनों की कीमत कमी उत्पादन लागत में कमी करके पूर्ति में वृद्धि करती है ।

4. तकनीकी स्तर (Technological Level):

तकनीकी स्तर में परिवर्तन से नवीन एवं कम लागत वाली उत्पादन तकनीकों का आविष्कार होता है जिससे उत्पादन लागत में कमी तथा वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है ।

5. फर्मों की संख्या (Number of Firms):

किसी वस्तु की बाजार पूर्ति फर्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है । फर्मों की संख्या अधिक होने पर पूर्ति अधिक होती है । इसके विपरीत फर्मों की संख्या कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है ।

ADVERTISEMENTS:

6. फर्म के उद्देश्य (Goal of the Firm):

यदि फर्म का उद्देश्य लाभ को अधिकतम करना है तो केवल अधिक कीमत पर ही अधिक पूर्ति की जायेगी । इसके विपरीत यदि फर्म का उद्देश्य बिक्री या उत्पादन या रोजगार को अधिकतम करना है तो वर्तमान कीमत पर भी अधिक पूर्ति की जायेगी ।

7. भविष्य में सम्भावित कीमत (Expected Future Price):

भविष्य में वस्तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन की सम्भावना भी पूर्ति को प्रभावित करती है । यदि भविष्य में वस्तु की कीमत बढ़ने की सम्भावना हो तो वर्तमान में पूर्ति घट जाती है । इसके विपरीत यदि भविष्य में कीमत घटने की सम्भावना हो तो वर्तमान में पूर्ति बढ़ जाती है ।

8. सरकारी नीति (Government Policy):

सरकार की कर (Taxes) तथा अनुदान (Subsidies) सम्बन्धी नीतियों का वस्तु की बाजार पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है । अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि होने के फलस्वरूप सामान्यतः पूर्ति कम होती है । इसके विपरीत अनुदानों के कारण पूर्ति में वृद्धि होती है क्योंकि उत्पादक अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं ।


ADVERTISEMENTS:

Essay # 5. पूर्ति का नियम (Law of Supply):

उत्पादक सदैव अपने लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य से अपनी वस्तु को दी गयी लागत दशाओं में ऊँची-से-ऊँची कीमत पर बेचना चाहता है । दूसरे शब्दों में, अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत वृद्धि पूर्ति को बढ़ायेगी तथा वस्तु कीमत में कमी पूर्ति को घटायेगी । इस प्रकार वस्तु कीमत तथा वस्तु पूर्ति में प्रत्यक्ष तथा सीधा (Direct) सम्बन्ध पाया जाता है ।

फलन के रूप में, S = f (P)

जहाँ S वस्तु की पूर्ति तथा P वस्तु की कीमत है । वस्तु का पूर्ति फलन, वस्तु पूर्ति तथा उसकी कीमत के मध्य सीधा सम्बन्ध स्पष्ट करता है ।

पूर्ति नियम के अपवाद (Exceptions to the Law of Supply):

पूर्ति का नियम वस्तु की कीमत और उसकी पूर्ति में धनात्मक सम्बन्ध बताता है किन्तु कुछ विशेष दशाओं में पूर्ति का नियम लागू नहीं होता अर्थात् वस्तु की कीमत और पूर्ति में धनात्मक सम्बन्ध स्थापित नहीं हो पाता । ऐसी दशाओं को पूर्ति के नियम का अपवाद कहा जाता है ।

पूर्ति के नियम के प्रमुख अपवाद हैं:

1. कृषि वस्तुओं पर यह नियम अनिवार्य रूप से लागू नहीं होता । अनेक प्राकृतिक आपदाओं सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि आदि के कारण कृषि उत्पादित वस्तुओं की कीमतें बढ़ने पर भी उनकी पूर्ति को अनिवार्य रूप से नहीं बढ़ाया जा सकता ।

2. नाशवान वस्तुओं (Perishable Goods) पर पूर्ति का नियम लागू नहीं होता क्योंकि विक्रेता वस्तु के नष्ट होने के भय से प्रायः कम कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा बिक्री के लिए प्रस्तुत कर देता है ।

3. सामाजिक प्रतिष्ठा वाली वस्तुओं में भी यह नियम लागू नहीं होता । इन वस्तुओं की पूर्ति सीमित होती है और इन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने पर भी इनकी पूर्ति को बढ़ाना सम्भव नहीं हो पाता ।