Here is an essay on ‘Demand Forecasting’ for class 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Demand Forecasting’ especially written for school and college students in Hindi language.

Essay on Demand Forecasting


Essay Contents:

  1. माँग पूर्वानुमान का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definition of Demand Forecasting)
  2. माँग पूर्वानुमान के उद्देश्य, प्रयोजन अथवा आवश्यकता (Objectives, Purposes or Need of Demand Forecasting)
  3. माँग पूर्वानुमान अथवा विक्रय पूर्वानुमान से सम्बद्ध तत्व अथवा निर्धारक (Factors Involved Demand or Sales Forecasting)
  4. एक अच्छी पूर्वानुमान पद्धति के गुण, कसौटियाँ, आवश्यकताएँ अथवा विशेषताएँ (Essentials of a Good Forecasting System)
  5. माँग पूर्वानुमान अथवा विक्रय पूर्वानुमान का महत्व एवं लाभ (Importance and Merits of Demand Forecasting or Sales Forecasting)
  6. माँग पूर्वानुमान की सीमाएँ (Limitations of Demand Forecasting)


Essay # 1. माँग पूर्वानुमान का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definition of Demand Forecasting):

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अर्थ (Meaning):

साधारण बोल-चाल की भाषा में माँग पूर्वानुमान से आशय किसी निश्चित अवधि में वस्तु की सम्भावित माँग या सम्भावित विक्रय का अनुमान लगाने से है जो मूल्य या मात्रा अथवा दोनों रूपों में व्यक्त किये जा सकते हैं ।

माँग पूर्वानुमान दो शब्दों – माँग और पूर्वानुमान से मिलकर बना है । माँग का अर्थ प्रभावपूर्ण इच्छा (Effective Desire) होता है, जबकि पूर्वानुमान अर्थात् पूर्व + अनुमान का अर्थ भविष्य के बारे में अनुमान से लगाया जाता है । माँग पूर्वानुमान किसी निश्चित अवधि के लिए संस्था के विक्रय मात्रा और मूल्य का वैज्ञानिक ढंग से लगाया गया अनुमान होता है ।

माँग पूर्वानुमान की परिभाषा (Definition):

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माँग पूर्वानुमान से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

a. रेमण्ड विलस के अनुसार, ”विक्रय पूर्वानुमान का आशय भावी बाजारों में कम्पनी के भाग का पूर्व निर्धारण करने से है ।”

b. फिलिप कोटलर के अनुसार, ”कम्पनी के विक्रय (माँग) पूर्वानुमान का अभिप्राय एक चुनी हुई विपणन योजना तथा कल्पित विपणन वातावरण पर आधारित कम्पनी के सम्भावित बिक्री स्तर से है ।”

c. अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, ”विक्रय पूर्वानुमान का अभिप्राय एक प्रस्तावित विपणन योजना का कार्यक्रम तथा पूर्वानुमान लगाने वाली संस्था के बाहर कल्पित आर्थिक एवं अन्य घटकों के संयोग के अन्तर्गत एक निर्दिष्ट भावी अवधि के लिए बिक्री या अनुमान डॉलरों या भौतिक इकाइयों में लगाने से है ।”

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d. कण्डिफ एवं स्टिल की राय में, ”एक प्रस्तावित विपणन योजना के अन्तर्गत भावी अनियन्त्रणीय और प्रतिस्पर्द्धी शक्तियों का अनुमान लगाते हुए किसी विशिष्ट भावी अवधि की बिक्री का अनुमान ही विक्रय पूर्वानुमान कहलाता है ।”

पूर्वानुमान की विशेषताएँ:

उपर्युक्त परिभाषाओं में माँग पूर्वानुमान की निम्नलिखित विशेषताओं का आभास होता है:

(i) माँग पूर्वानुमान एक निश्चित अवधि में वस्तु की सम्भावित माँग अथवा सम्भावित बिक्री को व्यक्त करती है ।

(ii) सम्भावित माँग या बिक्री, मूल्य या मात्रा अथवा दोनों रूपों में ही दर्शायी जा सकती है ।

(iii) माँग पूर्वानुमान में भूतकालीन तथा वर्तमान अनुभवों के साथ-साथ परिवर्तनों को भी ध्यान में रखा जाता है ।

(iv) माँग पूर्वानुमान केवल भावी माँग का अनुमान मात्र है ।

(v) माँग पूर्वानुमान लगाने में सांख्यिकीय एवं पद्धतियों का व्यापक उपयोग किया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

(vi) माँग पूर्वानुमान चुनी हुई योजना तथा कल्पित वातावरण पर आधारित होती है ।


Essay # 2. माँग पूर्वानुमान के उद्देश्य, प्रयोजन अथवा आवश्यकता (Objectives, Purposes or Need of Demand Forecasting):

समय के आधार पर माँग पूर्वानुमान दो प्रकार के होते हैं – प्रथम, अल्पकालीन पूर्वानुमान और द्वितीय, दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान । अल्पकालीन माँग पूर्वानुमान और दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान दोनों के ही उद्देश्य पृथक्-पृथक् होते हैं ।

जैसा कि निम्नलिखित विवरण से स्पष्ट हो जाएगा:

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I. अल्पकालीन माँग पूर्वानुमान के उद्देश्य (Objectives of Short-Term Demand Forecasting):

अल्पकालीन माँग पूर्वानुमान से आशय फर्म या उद्योग की एक वर्ष या उससे कम समय के लिए भावी माँग का अनुमान लगाने से है ।

अल्पकालीन माँग पूर्वानुमान के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

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(i) उपयुक्त उत्पादन नीति का निर्धारण (Formulation of Production Policy):

माँग या बिक्री के अल्पकालीन पूर्वानुमान का महत्वपूर्ण उद्देश्य भावी माँग के अनुरूप उत्पादन की उचित व्यवस्था करना है, ताकि माँग और पूर्ति में सामंजस्य बना रहे और फर्म को अति उत्पादन या कम उत्पादन की समस्या का सामना न करना पड़े ।

(ii) मूल्य नीति का निर्धारण (Determination of Price Policy):

माँग पूर्वानुमान का उद्देश्य मूल्य नीति का निर्धारण करना है, ताकि तेजी के समय में मूल्यों में कमी न करनी पड़े और मंदी के समय में मूल्य बढ़ाने की समस्या उत्पन्न न हो ।

(iii) कच्चे माल की उपलब्धता (Availability of Raw Material):

माँग पूर्वानुमान का उद्देश्य उत्पादन कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए निरन्तर आवश्यकतानुसार कच्चे माल की नियमित पूर्ति करना है । इससे स्टॉक संग्रह लागत में कमी आती है और साथ-साथ कच्चे माल की पूर्ति भी सम्भव होती है ।

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(iv) वित्त की उपलब्धता (Availability of Finance):

माँग पूर्वानुमान द्वारा भावी माँग के अनुरूप उत्पादन करने के लिए आवश्यकता अनुसार वित्तीय व्यवस्था की जाती है, ताकि समय पर उपयुक्त शर्तों पर पर्याप्त वित्त-उपलब्ध हो सके ।

(v) श्रम की नियमित पूर्ति (Regular Supply of Labour):

माँग पूर्वानुमान का उद्देश्य भावी माँग के अनुरूप उत्पादन के लिए पर्याप्त कुशल एवं अकुशल श्रमिकों की उचित व्यवस्था करना भी होता है, ताकि उत्पादन कार्य का संचालन सुचारू रूप से हो सके ।

(vi) मशीनों का अनुकूलतम उपयोग (Optimum Use of Machines):

माँग पूर्वानुमान का उद्देश्य उत्पादन हेतु मशीनों का अनुकूलतम उपयोग करना है, ताकि माँग कम होने पर मशीनें बेकार न रहें और माँग बढ़ने पर उत्पादन बढ़ाने में गतिरोध उत्पन्न न हो ।

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(vii) विक्रय के लक्ष्य निर्धारित करना (Serring Sales Targets):

माँग पूर्वानुमान का उद्देश्य अलग-अलग क्षेत्रों के विक्रय प्रतिनिधियों के लिए विक्रय लक्ष्यों का निर्धारण करना, उपयुक्त नियन्त्रण लागू करना तथा उत्प्रेरण अथवा प्रलोभन प्रदान करना होता है ।

II. दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान के उद्देश्य (Objectives of Long-Term Demand Forecasting):

जब व्यावसायिक फर्में एक वर्ष से लम्बी अवधि के लिए उत्पादन तथा विक्रय योजनाएँ बनाती हैं तो उन्हें दीर्घकालीन पूर्वानुमान लगाने पड़ते हैं । इसे ही दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान कहा जाता है ।

दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान के उद्देश्य प्रायः निम्नलिखित हैं:

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(i) प्लाण्ट क्षमता का नियोजन (Plant Capacity Planning):

दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान प्रबन्धकों को भावी माँग के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना उपलब्ध कराके उन्हें क्षमता के सम्बन्ध में आवश्यक मार्गदर्शन देते हैं । अगर प्लाण्ट (संयंत्र) क्षमता पर्याप्त नहीं है तो नया प्लाण्ट लगाने का प्रयास किया जाता है अथवा वर्तमान प्लाण्ट के ही विस्तार की योजनाएँ बनायी जाती हैं ।

(ii) दीर्घकालीन वित्तीय आवश्यकताओं की योजना बनाना (Planning for Long-Term Financial Requirements):

धन जुटाने के लिए बहुत पहले से ही योजना बनानी पड़ती है । अतः दीर्घकालीन वित्तीय आवश्यकताओं का निर्धारण करने के लिए दीर्घकालीन माँग (विक्रय) पूर्वानुमान नितान्त आवश्यक होते हैं ।

(iii) श्रम शक्ति सम्बन्धी आवश्यकताओं की योजना बनाना (Planning for the Need of Man-Power):

ADVERTISEMENTS:

प्रशिक्षण तथा कर्मचारियों का विकास ऐसे कार्य हैं जिन्हें पूरा करने में काफी समय लगता है । इन्हें समय से पहले तभी शुरू किया जा सकता है जबकि दीर्घकालीन विक्रय अनुमानों के आधार पर श्रम शक्ति की आवश्यकता का अनुमान कर लिया जाए ।

(iv) दीर्घकालीन विपणन एवं मूल्य नीति का निर्धारण (Determination of Long-Term Marketing and Price Policy):

दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य भावी माँग को देखते हुए उसके अनुरूप ही उपयुक्त एवं स्थायी विपणन एवं मूल्य नीति-निर्धारित करना है, ताकि मूल्यों में यथासम्भव स्थिरता रहे और विपणन कार्य दीर्घकाल तक कुशलता से चलता रहे ।


Essay # 3. माँग पूर्वानुमान अथवा विक्रय पूर्वानुमान से सम्बद्ध तत्व अथवा निर्धारक (Factors Involved Demand or Sales Forecasting):

माँग का पूर्वानुमान करने में कम से कम निन्नलिखित बातों पर विचार करना आवश्यक होता है:

1. अवधि (Period):

पहली बात यह है कि पूर्वानुमान कितना दीर्घकालीन किया जाना है ।

इस सम्बन्ध में दो प्रकार के पूर्वानुमान किये जा सकते हैं:

(a) अल्पकालीन माँग पूर्वानुमान:

जिनकी अवधि सामान्यतः एक वर्ष या उससे कम होती है । शीघ्र नष्ट होने वाली या मौसमी वस्तुओं के लिए अल्पकालीन माँग पूर्वानुमान उपयुक्त रहते हैं ।

(b) दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान:

जिनकी अवधि सामान्यतः एक वर्ष से अधिक होती है । जिन उद्योगों में स्थायी सम्पत्तियों का जीवन काल लम्बा, पूँजीगत व्यय अधिक और तुरन्त लाभ की सम्भावना कम होती है, उनमें दीर्घकालीन माँग पूर्वानुमान ही उपयुक्त होते हैं ।

2. माँग पूर्वानुमान के स्तर (Level of Forecasting):

स्तर की दृष्टि से माँग पूर्वानुमान निम्नलिखित तीन प्रकार के हो सकते हैं:

(a) समष्टि या विशद स्तर (Macro Level):

इसका सम्बन्ध अर्थव्यवस्था की समस्त आर्थिक एवं व्यावसायिक दशाओं से है और व्यापक स्तर पर माँग का पूर्वानुमान राष्ट्रीय उत्पादन, रोजगार सामान्य मूल्यों, कुल उपभोग एवं व्यय सम्बन्धी निर्देशांकों पर आधारित किया जाता है ।

(b) औद्योगिक स्तर (Industry Level):

यह माँग पूर्वानुमान किसी उद्योग के विभिन्न संघों के द्वारा किया जाता है ।

(c) फर्म स्तर (Firm Level):

यह किसी फर्म विशेष के लिए माँग का पूर्वानुमान होता है जो उसके प्रबन्धकीय निर्णयों के आधार पर किये जाते हैं ।

3. सामान्य अथवा विशिष्ट पूर्वानुमान (General or Specific Forecasting):

माँग पूर्वानुमान में यह भी निश्चित करना पड़ता है कि माँग पूर्वानुमान सामान्य हो अथवा विशिष्ट । सामान्य पूर्वानुमान माँग तो उत्पादन नियोजन के लिए उपयोगी होती है जबकि विशिष्ट पूर्वानुमानों से अलग-अलग क्षेत्रों की योजनाओं व उनके नियन्त्रणों में सहायता मिलती है ।

4. वस्तुओं का वर्गीकरण (Classification of Goods):

माँग पूर्वानुमान में वस्तुओं की प्रकृति की भिन्नता के कारण उनका वर्गीकरण करना महत्वपूर्ण होता है ।

मोटे तौर से वस्तुओं का वर्गीकरण इस प्रकार से किया जा सकता है:

(a) पूँजीगत वस्तुएँ,

(b) उत्पादक वस्तुएँ,

(c) निर्यात वस्तुएँ एवं

(d) अन्य उपभोक्ता वस्तुएँ और सेवाएँ ।

यह उल्लेखनीय है कि विभिन्न प्रकार की इन वस्तु श्रेणियों की माँग की विशेषताएँ होती हैं ।

5. बाजार में वस्तु की स्थिति (Position of Products in the Market):

बाजार में वस्तुओं की स्थिति का भी पूर्वानुमान की विधियों एवं समस्याओं पर प्रभाव पड़ता है ।

(a) विद्यमान वस्तुओं का माँग पूर्वानुमान:

स्थापित वस्तुओं का माँग पूर्वानुमान सामायिक क्रिया (Routine Procedure) है । यह वर्तमान बाजारों से प्राप्त सूचनाओं और विक्रय की भूतकालीन प्रवृत्ति के आधार पर तैयार किया जाता है । चूँकि अनुमान काल में माँग तत्व कम ही परिवर्तनशील होते हैं इसलिए अनुमान कार्य सरल हो जाता है ।

(b) नई वस्तुओं का माँग पूर्वानुमान:

विद्यमान वस्तुओं से नयी वस्तुओं के माँग पूर्वानुमान की पद्धतियाँ अलग होती हैं । इसका कारण यह है कि वस्तु फर्म तथा अर्थव्यवस्था दोनों ही के लिए नई होती है, अततः इसके प्रतिद्वन्द्वियों और उपभोक्ता प्रवृत्तियों का विश्लेषण कठिन होता है ।

6. वस्तु तथा बाजार से सम्बन्धित विशिष्ट तत्व (Specific Factor Related to Product or Market):

अन्त में प्रत्येक पूर्वानुमान में वस्तु तथा उसके बाजार के विशेष तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए । बाजार में प्रतियोगिता की प्रकृति, अनिश्चितता या अनुमापन योग्य जोखिम तथा पूर्वानुमान में अशुद्धि या त्रुटि की सम्भावना पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए । कुछ दशाओं में जैसे, स्त्रियों की पोशाकों के बारे में सामाजिक तत्व भी अत्यधिक महत्व के होते हैं ।


Essay # 4. एक अच्छी पूर्वानुमान पद्धति के गुण, कसौटियाँ, आवश्यकताएँ अथवा विशेषताएँ (Essentials of a Good Forecasting System):

पूर्वानुमान पद्धति की श्रेष्ठता फर्म के उपज की प्रकृति, फर्म के साधन, समय व शुद्धता आदि सापेक्षिक बातों पर निर्भर करती है ।

फिर भी एक अच्छी पूर्वानुमान पद्धति में निम्नलिखित विशेषताओं को होना चाहिए:

a. शुद्धता (Accuracy):

पूर्वानुमान की पद्धति के शुद्ध पूर्वानुमानों की अपेक्षा की जाती है, अतः पूर्वानुमान वास्तविकता के यथासम्भव निकट होने चाहिए । वे जितने ही वास्तविकता के समीप होंगे, उतने ही शुद्धता के परिचायक होंगे ।

b. विश्वसनीयता (Reliability):

जिन विधियों का पूर्वानुमान के लिए प्रयोग किया जाए, उनमें प्रबन्धक का विश्वास होना चाहिए । परिणामों की उचित व्याख्या के लिए इन विधियों को भली-भाँति समझना चाहिए । यदि प्रबन्धक पूर्वानुमानकर्त्ता द्वारा उपयोग में लायी गई गणितीय एवं अर्थमितीय विधियों को समझने मे असमर्थ है, तो इन विधियों की उपयुक्तता भी कम समझी जाएगी ।

c. मितव्ययिता (Economy):

पूर्वानुमान पद्धति ऐसी होनी चाहिए कि पूर्वानुमान में आने वाले खर्च उससे होने वाले लाभ से अधिक न हों ।

d. सूचनाओं की उपलब्धता (Availability of Information’s):

पूर्वानुमान पद्धति ऐसी होनी चाहिए कि उससे सम्बन्धित सूचनाएँ शीघ्रता एवं सुगमता से उपलब्ध की जा सकें । यही नहीं, पूर्वानुमान के लिए ऐसी विधियों को उपयोग में लाना चाहिए कि जिनसे शीघ्रतापूर्वक सार्थक परिणाम मिल सकें । अधिक समय लगाने से हो सकता है कि प्रभावशाली प्रबन्धकीय निर्णय की दृष्टि से काफी विलम्ब हो जाए ।

e. सरलता (Simplicity):

पूर्वानुमान पद्धति यथासम्भव सरल होनी चाहिए क्योंकि जटिलता और तकनीकी तरीकों से युक्त पद्धति में आवश्यक योग्यता, रुचि एवं शुद्धता सामान्यतः नहीं आ पाती ।

f. लोचशीलता (Flexibility):

पूर्वानुमान पद्धति ऐसी लोचपूर्ण होनी चाहिए कि विभिन्न चरों में होने वाले परिवर्तनों के समंकों व सूचनाओं के प्रयोग से पूर्वानुमानों में आवश्यक समायोजन किया जा सके और अधिक शुद्ध और विश्वसनीय पूर्वानुमान तैयार किया जा सके ।

g. सामयिकता एवं स्थायित्व (Timely and Stable):

पूर्वानुमान पद्धति की विशेषता इसमें भी निहित है कि पूर्वानुमान उचित समय पर किया जाए तथा उसमें यथासम्भव स्थिरता की प्रकृति रहे अन्यथा भावी नियोजन करना कठिन हो जायेगा ।


Essay # 5. माँग पूर्वानुमान अथवा विक्रय पूर्वानुमान का महत्व एवं लाभ (Importance and Merits of Demand Forecasting or Sales Forecasting):

माँग पूर्वानुमान का आज की जटिल उत्पादन व्यवस्था में अपना एक विशेष महत्व है । यह कहना गलत न होगा कि माँग पूर्वानुमान ही फर्म की स्थापना, स्थिति, आकार और उत्पादन के लिए विभिन्न योजनाओं की आधारशिला है ।

संक्षेप में, माँग पूर्वानुमान का महत्व निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट हो जायेगा:

A. फर्म की स्थापना का आधार (Base for Establishment of Firm):

माँग के पूर्वानुमान के आधार पर ही साहसी किसी नई फर्म की स्थापना सम्बन्धी निर्णय लेते हैं । वस्तु की अधिक भावी माँग नई इकाइयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करती है जबकि माँग की कमी नई इकाइयों की स्थापाना को हतोत्साहित करती है ।

B. संयन्त्र के आधार का निर्धारण (Determination of Plant Size):

माँग पूर्वानुमान एक ओर तथा संयन्त्र के आकार के निर्धारण में सहायक होते हैं और दूसरी ओर यह भी बताते हैं कि संयन्त्र का आकार छोटा हो या बड़ा । अलग-अलग क्षेत्रों में पूर्वानुमान फर्म के स्थान के निर्धारण में योग देते हैं और यदि भावी माँग अधिक होने की सम्भावना होती है तो संयन्त्र का आकार भी बड़ा ही होगा ।

C. उत्पादन नियोजन (Producing Planning):

माँग पूर्वानुमान का सबसे अधिक महत्व उत्पादन के नियोजन में है । फर्म भावी माँग के अनुरूप ही उत्पादन करने का प्रयत्न करती है, ताकि उसके समक्ष अति उत्पादन अथवा न्यून उत्पादन की समस्याएँ न आ सकें ।

D. कच्चे माल की उपलब्धता (Availability of Raw Materials):

माँग पूर्वानुमान का महत्व भावी माँग के अनुसार उत्पादन के लिए कच्चे माल की नियमित उपलब्धि करने में भी निहित है । उससे एक ओर तो कच्चे माल के अभाव से उत्पादन कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होती और दूसरे कच्चे माल के स्टाक संग्रह की लागत में वृद्धि नहीं होती ।

E. श्रम शक्ति नियोजन (Labour-Power Planning):

माँग पूर्वानुमान उत्पादन हेतु आवश्यक श्रम शक्ति की व्यवस्था करने में भी सहायक होता है, फलतः श्रम की कमी से उत्पादन कार्य में गतिरोध उत्पन्न नहीं होता और श्रम आधिक्य अपव्यय को रोकने में सहायता मिलती है ।

F. वित्त नियोजन (Finance Planning):

भावी माँग के अनुरूप उत्पादन तथा विपणन व्यवस्था के लिए आवश्यक वित्त एवं पूँजी साधनों की नियमित एवं सुविधाजनक पूर्ति के लिए भी माँग पूर्वानुमान महत्वपूर्ण मार्गदर्शन देते हैं ।

G. क्षमता विस्तार (Capacity of Expansion):

माँग पूर्वानुमान का महत्व न केवल मशीनों के अधिकतम उपयोजन में है बल्कि भावी माँग के अनुरूप उत्पादन करने के लिए क्षमता विस्तार में भी है, ताकि भावी माँग का लाभ प्राप्त किया जा सके ।

H. लागतों में कमी में सहायक (Helpful in Reduction of Costs):

जब माँग पूर्वानुमान सभी प्रकार के नियोजन का आधार है तो प्रभावी नियोजन से लागतों में कमी आती है और लागतों में गिरावट अधिक उत्पादन और ऊँचे लाभ प्राप्त करने में सहायक होते हैं ।

I. उपयुक्त कीमत नीति (Suitable Price Policy):

फर्म के लिए उपयुक्त कीमत नीति निर्धारण करने में भी माँग पूर्वानुमान का महत्व अत्यधिक है ।

J. बिक्री नियन्त्रण (Sales Control):

माँग पूर्वानुमान बिक्री के प्रयत्नों को दिशा निर्देश और आधार प्रदान करता है तथा उन पर प्रभावी नियन्त्रण में योग देता है क्योंकि पूर्वानुमानों के अनुसार क्षेत्रीय बिक्री एजेण्टों के बिक्री अभ्यंश (Quoto or Targets) निर्धारित करके विक्रय कुशलता को मापा जा सकता है जिससे नियन्त्रण सम्भव होता है ।


Essay # 6. माँग पूर्वानुमान की सीमाएँ (Limitations of Demand Forecasting):

माँग पूर्वानुमान की निम्नलिखित सीमाएँ हैं:

i. आँकड़ों का अभाव (Lack of Data):

माँग पूर्वानुमान सामान्यतः भूतकालीन विक्रय के आधार पर लगाये जाते हैं परन्तु इस प्रकार के आँकडें सरलता से उपलब्ध नहीं हो पाते ।

ii. व्ययपूर्ण प्रक्रिया (Expensive Process):

पूर्वानुमान एक व्ययपूर्ण प्रक्रिया है जिसे सभी फर्म वहन नहीं कर पातीं । फलतः धन और समय के अभाव में शुद्ध पूर्वानुमान लगाना कठिन हो जाता है ।

iii. फैशन में परिवर्तन (Change in Fashion):

सभ्यता के विकास के साथ-साथ फैशन में भी परिवर्तन होते रहते हैं । अतः फैशन सम्बन्धी परिवर्तन माँग पूर्वानुमान की सफलता में बाधक हैं ।

iv. मनोवैज्ञानिक तत्व (Psychological Elements):

वस्तु के प्रति उपभोक्ता की कुछ मनोवृत्ति होती है । वह किसी वस्तु को अधिक तो किसी को कम चाहता है । युद्ध की आशंका, अर्थनीति में परिवर्तन आदि से उसकी मनोवृत्ति बदल भी सकती है जिसके कारण माँग का पूर्वानुमान लगाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है ।

v. योग्य विशेषज्ञों का अभाव (Lack of Able Experts):

उचित माँग पूर्वानुमान के लिए योग्य विशेषज्ञों का होना आवश्यक है । योग्य विशेषज्ञों के अभाव में माँग पूर्वानुमान सामान्यतः गलत होते हैं ।