Read this article in Hindi to learn about the various degrees of price elasticity of demand for a particular commodity.

(1) सापेक्षतः लोचदार माँग (Relatively Elastic Demand):

जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप उसकी माँग में अधिक आनुपातिक परिवर्तन हो जाता है तब ऐसी वस्तु की माँग को सापेक्षतः लोचदार माँग कहते हैं ।

अर्थात्,clip_image016_thumb

दूसरे शब्दों में,

उदाहरण (Illustration):

चित्र 2 में इस स्थिति को प्रदर्शित किया गया है जिसमें कीमत के परिवर्तन का माँग पर अधिक अनुपात में प्रभाव पड़ता है । अतः माँग की लोच इकाई से अधिक है ।

(2) सापेक्षतः बेलोचदार माँग (Relatively Inelastic Demand):

जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी माँग में कम आनुपातिक परिवर्तन होता है तब ऐसी वस्तु की माँग को सापेक्षतः बेलोचदार माँग कहा जाता है ।

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अर्थात,

उदाहरण (Illustration):

अर्थात e इकाई से कम है ।

इस स्थिति को चित्र 3 में दिखाया गया है ।

चित्र में ΔP कीमत में कमी होने पर माँग में ΔQ की वृद्धि हो रही है जिसके कारण माँग की लोच इकाई से कम है ।

(3) इकाई लोचदार माँग (Unit Elasticity of Demand):

जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उसकी माँग में भी उसी अनुपात में परिवर्तन होता है, तब ऐसी वस्तु की माँग को इकाई लोचदार माँग कहा जाता है ।

अर्थात्,

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उदाहरण (Illustration):

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अर्थात् माँग की लोच इकाई है ।

इस स्थिति को चित्र 4 में दिखाया गया है ।

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चित्र में माँग का आनुपातिक परिवर्तन कीमत के आनुपातिक परिवर्तन के बराबर है, अतः माँग की लोच इकाई के बराबर है ।

अतिपरवलयाकार – माँग वक्र का एक विशेष रूप (Rectangular Hyperbola – A Special Case of Demand Curve):

जब माँग वक्र अतिपरवलयाकार (Rectangular Hyperbola) होती है तो माँग की लोच माँग वक्र के सभी बिन्दुओं पर इकाई के बराबर होती है । अतिपरवलयाकार वह वक्र है जिसके अन्तर्गत बनाए गए सभी चतुर्भुजों का क्षेत्रफल बराबर होता है । इसका कारण यह है प्रत्येक चतुर्भुज का क्षेत्रफल वस्तु पर किये जाने वाले कुल व्यय को प्रकट करता है ।

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इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वस्तु की कीमत के कम या अधिक होने पर भी उस पर किया जाने वाला कुल व्यय स्थिर रहेगा । चित्र 5 में क्षेत्रफल OBTP = क्षेत्रफल OEJP1 है । इसलिए अतिपरवलयाकार माँग वक्र के सभी बिन्दुओं पर माँग की लोच इकाई होगी ।

(4) पूर्णतः बेलोचदार माँग (Perfectly Inelastic Demand):

जब किसी वस्तु की कीमत के परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो ऐसी माँग को पूर्णतः बेलोच माँग कहते हैं ।

अर्थात्,

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माँग का आनुपातिक परिवर्तन = 0

उदाहरण (Illustration):

अर्थात् माँग की लोच शून्य है ।

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इस स्थिति को चित्र 6 में दिखाया गया है । शून्य लोच की दशा में माँग वक्र Y-अक्ष समानान्तर होगा ।

(5) पूर्णतया लोचदार माँग (Perfectly Elastic Demand):

जब किसी वस्तु की कीमत में नगण्य परिवर्तन होने पर (अथवा बिल्कुल परिवर्तन न होने पर भी) माँग में अत्यधिक परिवर्तन होता रहता है तब ऐसी वस्तु की माँग को पूर्णतया लोचदार माँग कहा जाता है ।

ऐसी माँग की दशा में वस्तु की अति सूक्ष्म मूल्य वृद्धि भी उसकी माँग को शून्य कर देती है तथा कीमत में अति सूक्ष्म कमी माँग में इतना अत्यधिक विस्तार करती है कि कोई अन्य विक्रेता घटी हुई कीमत पर इस माँग को सन्तुष्ट नहीं कर पाता ।

पूर्ण प्रतियोगिता वाले बाजार में माँग वक्र की लोच अनन्त (पूर्णतया) लोचदार होती है । किन्तु व्यावहारिक एवं वास्तविक जीवन में वस्तुतः किसी वस्तु की माँग पूर्णतः लोचदार माँग नहीं होती ।

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पूर्णतः लोचदार माँग की दशा में,

उदाहरण (Illustration):

clip_image052_thumb3

अर्थात् माँग की लोच अनन्त लोचदार (अथवा पूर्णतया लोचदार) है ।

इस स्थिति को चित्र 7 में दिखाया गया है ।

चित्र में DD माँग वक्र पूर्णतया लोचदार है जो X-अक्ष के समानान्तर एक पड़ी रेखा के रूप में होता है । उपर्युक्त पाँचों स्थितियों के विश्लेषण के बाद हम माँग की कीमत लोच की पाँचों स्थितियों को एक ही चित्र में प्रदर्शित कर सकते हैं (देखें चित्र 8) |

माँग की कीमत लोच की पाँचों श्रेणियों का तुलनात्मक विश्लेषण एक तालिका के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है: